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Showing posts from March, 2019

PulwamaAttack: युद्ध के खिलाफ एकजुट हम- सेय नो टू वार

अमित  कुमार नई दिल्ली ,  4 मार्च देश  के कुछ गैर सरकारी संगठनों और  सिविल सोसायटी समूहों ने भारत  में नई दिल्ली में जंतर मंतर पर  वर्तमान  में देश में बन रही युद्ध के माहौल के खिलाफ  मानव श्रृंखला बनाया  । 64  साल के डॉ रम्मनिज ने बताया इस तरह  की  मुहिम आज  पाकिस्तान में भी निकाली गई है । इन्होंने सेय नो टू वार का नारा दिया। इन  लोगों के अनुसार 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर जो हमला हुआ जिसमें अर्धसैनिक  बलो के  40 सैनिक मारे गए इसके या किसी भी आतंकी हमले की निंदा के लिए कोई भी शब्द पर्याप्त नहीं है ।  हालंकि  एक  आतंकी हमला किसी भी हालत में भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाली  कार्रवा ईयो को उचित नहीं ठहरा सकता है या नहीं इसका अधिकार  देता  है । यहां उपस्थित लोगों ने आतंक को बढ़ावा देने वाले या उस में संलिप्त लोगों को पनाह देने के लिए पाकिस्तान की सेना और सरकार की निंदा की। इनका मानना  हैं  जब सरकारों द्वारा लोकतंत्र को कम करके आंका जाता है और लोगों को उनकी राजनीतिक अधिकारों से वंचित करने के लिए राज्य बलों को लगाते ह

PulwamaAttack: जब सैनिक बलों को पेंशन ही नहीं और शहीद का दर्जा ही नहीं तो कैसी शहादत

अमित  कुमार नई  दिल्ली, 3 मार्च अर्ध सैनिक बलों के सेवानिवृत्त सिपाहियों ने पार्लियामेंट स्ट्रीट  से  जंतर मंतर तक  हाथो में कैंडल  और  तिरंगा लिए  मार्च निकाला । उत्तराखंड के अल्मोड़ा से आए सेवानिवृत त्रिलोक सिंह बताते है।  इनकी चार प्रमुख मांगे हैं , पहला वन रैंक वन  पेंशन  लागू किया जाए  , दूसरा  2000  के पहले के पेंशन को लागू किया जाए ताकि  2004 के बाद  कें सभी लोगो  को पेंशन  मिल सके , तीसरा सिविल रूल से बाहर किया जाए  और  अंत में शहीद का दर्जा दिया जाए। त्रिलोक  बताते  हैं  कि यह  कोई पहला  आंदोलन  नहीं था।  पिछले 5 सालों से लगातार यह आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार इनकी नहीं सुन रही है । यह प्रधानमंत्री को बताना चाहते हैं अभी पुलवामा हमले में  इतने लोगों की मृत्यु हुई है (PulwamaAttack) इन लोगों को शहीद का दर्जा नहीं मिला ।हर  मीडिया  चैनल बोल  रहा है यह शहीद हुए लेकिन  आपको बता दु उन्हे  शहीद का दर्जा नहीं मिला  हैं। इन्होंने  आह्वान किया है कि इन सब की मांगों  को जल्द से जल्द पूरा किया जाए क्योंकि जब जीएसटी एक रात में लागू हो सकता है तो  इनकी  मांगे क्यों नहीं मानी जा स

हजारों आंगनबाड़ी महिलाओं नौजवानों छात्रों और मजदूरों ने किया संसद भवन का घेराव

अमित  कुमार,  नई दिल्ली, 3 मार्च देश भर से  आए सैकड़ों नौजवानों मजदूरों आंगनबाड़ी महिला कर्मियों ने रोजगार के अधिकार के लिए रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक विशाल रोजगार अधिकार रैली निकाली ।  रोजगार के अधिकार को मूलभूत अधिकार में शामिल करने के लिए पिछले 1 साल से देश के अलग-अलग राज्यों में भगत सिंह राष्ट्रीय रोजगार गारंटी  कानून लागू करने का  अभियान चला रहे हैं ।इनकी सरकार से मांग है कि मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी  ₹ 20,000  मासिक मिले। इस  रैली में दिल्ली हरियाणा महाराष्ट्र और बिहार के अलग-अलग इलाकों से हजारों नौजवान और मजदूर शामिल हुए । भगत सिंह राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून संयोजन समिति के सदस्य अजय ने कहा अगर रोजगार के अधिकार को जीने का अधिकार कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं है। तमाम  सरकारें आई और चली गई किंतु आबादी के अनुपात में रोजगार बढ़ने तो दूर उल्टा  घटता  च ला गया हैं। नई  सरकारी नौकरियां नहीं निकल रही है सार्वजनिक क्षेत्र की बर्बादी जा रही है । केंद्र  और राज्यों के स्तर पर लाखों लाख पद खाली पड़े हैं  जिस को लटका कर रखा जाता है ।  सरकारी भर्तियां करके भी नियुक्ति नहीं