बुलंदशहर में एक गरीब परिवार रहता था, उस परिवार में 2 जून की रोटी🍪 जुटाना तक मुश्किल हो गया था। इसके बाद यह परिवार रोजगार की तलाश में दिल्ली रवाना हो गए। वहा यह परिवार एक बस्ती 🏘(slum) में रहने लगा।यहां इन्होंने केवल violence ही देखा। इस बस्ती में जरूरत की सामानों वह बुनियादी आवश्यकताओं का अभाव था। जिसके कारण इस परिवार का बच्चे शिक्षित नहीं हो पाए।बच्चा कभी स्कुल 🏢नहीं गया ,उसको पीस कंपैशन के बारे में कुछ नहीं प्ता, बच्चपन में उसने बहुत मेरी झेली हो । यह बच्चा हिंसा को अपना टूल मानने लगा। यह लड़का👨 अपने बहन को बहुत मारता पीटता बहन👧 के चोट लगने से खून निकलने पर भी उसे दया नहीं आती। लड़के को कोई पश्चाताप भी नहीं होता । वह असामाजिक गतिविधियों में शामिल होता चला गया। इन सबके बीच उसके ऊपर एक सज्जन व्यक्ति जो कि पेशे से एक लेखक👵 थे उनकी नजर पड़ी वे उसे अपने यहां ले गए और उसे अपने तरीके से मोटिवेट करना शुरू किया उसे बहुत से लोगों के बारे मे बताया, बहुत सी किताबों की कहानियां बताएं और टीवी के जरिए दिखाकर भी बहुत समझाया ,आदि बहुत तरीके अपनाए ताकि बच्चे के अन्दर कक्यूरोसिट...