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अगर गांधीजी होते तो इस लड़के के साथ क्या करते ?

बुलंदशहर में एक गरीब परिवार रहता था, उस परिवार में 2 जून की रोटी🍪 जुटाना तक मुश्किल हो गया था। इसके बाद यह परिवार  रोजगार की तलाश में दिल्ली रवाना हो गए। वहा यह परिवार एक बस्ती 🏘(slum) में रहने लगा।यहां इन्होंने केवल violence ही देखा। इस बस्ती में जरूरत की सामानों वह बुनियादी आवश्यकताओं का अभाव था। जिसके कारण इस परिवार का बच्चे शिक्षित नहीं हो पाए।बच्चा कभी स्कुल 🏢नहीं गया ,उसको पीस  कंपैशन के बारे में कुछ नहीं प्ता, बच्चपन में उसने बहुत मेरी झेली हो । यह बच्चा हिंसा को अपना टूल मानने लगा। यह लड़का👨 अपने बहन को बहुत मारता पीटता बहन👧 के चोट लगने से खून निकलने पर भी उसे दया नहीं आती। लड़के को  कोई पश्चाताप भी नहीं होता । वह असामाजिक गतिविधियों में शामिल होता चला गया। इन सबके बीच उसके ऊपर एक सज्जन व्यक्ति जो कि पेशे से एक लेखक👵 थे उनकी नजर पड़ी वे उसे अपने यहां ले गए और उसे अपने तरीके से मोटिवेट करना शुरू किया उसे बहुत से लोगों के बारे मे बताया, बहुत सी किताबों की कहानियां बताएं और टीवी के जरिए दिखाकर भी बहुत समझाया ,आदि बहुत तरीके अपनाए ताकि बच्चे के अन्दर कक्यूरोसिटी लाया जा सके उसके बचपन के दर्द को भरा जा सके लेकिन इन सबका उसके ऊपर कोई असर नहीं हुआ। एक दिन लेखक ने लड़के को बोला तुम मार-पीट हिंसा करना छोड़ दो ,आज गांधी जी का जन्मदिवस हैं। लड़के ने पूछा यह क्या होता है, ये गांधी कौन है ,फिर लेखक ने गांधीजी के बारे में उसे बताया लड़के ने सब कुछ सुना और अंततः बोलता है कि केक🎂 कौन काटेगा।

सोचने वाली बात यह है कि अगर गांधीजी होते तो इस लड़की के साथ क्या करते हैं वो इस के व्यवहार में कैसे परिवर्तन लाते । इस लड़के की क्रूरता या मूल्य हीनता के लिए हम इसे दोषी नहीं ठहरा सकते हैं इसमें गलती समाज की भी है कि वह कभी स्कूल गया नहीं जिसने बचपन से ही मार झेला है। समाज में उसे सम्मान नहीं मिल पाया उसके साथ हिंसा किया गया, इस प्रकार की Rural distress उत्पन्न होती हैं। कुछ लोगों को गरीबी में पूरा जीवन बिताना पड़ता है।यह समस्या है गरीबी की जबतक गरीबी बनी रहेगी ऐसी समस्या आती रहेंगी । इसीलिए ,गांधी जी कहते थे
                                     Poverty is the worst form of violence.

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