Publish Date:Sat, 21 Apr 2018 सरकार की छवि काफी हद तक लोकसेवकों के इसी रवैये पर निर्भर करती है कि वे लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं की पूर्ति कैसे करते है। नई दिल्ली [एम वेंकैया नायडू]। भारत को आजादी मिलने से चार महीने पहले 21 अप्रैल, 1947 को देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया। देश को एक सूत्र में पिरोने वाले शिल्पकार सरदार पटेल ने दिल्ली के मेटकॉफ हाउस में इस मौके पर दिए अपने ऐतिहासिक भाषण में स्वतंत्र भारत के लिए लोकसेवाओं की अवधारणा स्पष्ट करते हुए सुराज्य यानी सुशासन की बुनियाद रखी। इसी उपलक्ष्य में 21 अप्रैल को लोक सेवा दिवस का आयोजन होता है। यह ब्रिटिश राज में स्थापित विदेशी स्वामियों के हित में काम करने वाली लोक सेवा के सरकार के लोकतांत्रिक स्वरूप में जनता की सेवा में रूपांतरित होने का पड़ाव था। इसके लिए महज प्रशासनिक रूप से काम करने के बजाय पूरे मनोयोग से देश की सेवा करने के भाव में बदलाव लाना था। इस अवसर पर सरदार पटेल ने कहा, ‘यह सेवा अब स्वतंत्र होगी और उसे अतीत की परंपराओं की जकड़न को तोड़ते हुए राष...