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सरकारें को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी

कोरोना के दौरान मुझे पहली बार पता चला, अमेरिकी राष्ट्रपति हर दिन मीडिया को एड्रेस करते है उनके सवालों के जवाब देते है और मीडिया भी उनके गलतियों को बताती है। हालांकि इंडिया में तो ऐसा कोई रिवाज वर्तमान में है नहीं। ये केवल यूपीए सरकार में वार्षिक रूप से हुआ करता था ,जो कुछ वर्ष ही केवल कुछ समय के लिए हुआ था। जब मनमोहन सिंह मीडिया को ब्रीफ करते थे। इसका जिक्र क्यों कर रहा हूं क्यूंकि कॉरोना काल में दिल्ली सरकार अमूमन हर दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करती रही और कितने ऑक्सीजन की  कमी है और कितने बेड की कमी है और उनके पास क्या व्यवस्था है क्या नहीं है। ये किसी भी अन्य राज्य ने नहीं किया। वास्तविकता में तो पारदर्शिता यहां देखने को मिला। भले ही वो राजनीतिक हो या जो भी हो , लेकिन सूचना का प्रवाह तो बना रहा , लोगों तक जानकारियां जाती रही वो भी अवेयर होते रहे । ये सब चीजें भी गुड गवर्नेंस के लिए मायने रखते है, केवल आरटीआई और फलना ढिकाना से कुछ नहीं होगा जब तक सरकारें ही जिम्मेदार नहीं होगी। 🤔🤔🤔🤔 ~AB.soni

युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं।

 अमित कुमार हाल ही में पुलवामा में हुए सेना के काफिले पर हमले में देश ने अपने 40 वीर जवानों को खो दिया है। पुलवामा आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। हर चौक और नुक्कड़ पर मोमबत्ती जलाकर लोग शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। लोग मार्च निकालकर पाकिस्तान विरोधी नारे भी लगा रहे हैं। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली है। हालांकि यह घटना केवल आज की नहीं है इसके पहले भी 2, 4 सैनिक हर महीने शहीद होते रहे हैं। उरी और पठानकोट कौन भूल सकता हैं,लेकिन जब यह वृहत स्तर पर हुआ तो पूरे देश में आवाज उठी। जम्मू कश्मीर को आतंकीस्तान बताया जा रहा हैं। लोगों को कश्मीर के बारे में ऐसा नहीं बोलना चाहिए क्योंकि बाकी राज्यो की तरह जम्मू कश्मीर भी भारत का अभिन्न अंग है। जम्मू कश्मीर की समस्या के समाधान के बिना हम अपने जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं। जम्मू कश्मीर राज्य को हर सरकार ने अपने अपने तरीके से हैंडल करने की कोशिश की है और कोई विजन नहीं सुनिश्चित किया। उसी का परिणाम है कि, आज हमारे सैनिक शहीद हो रहे हैं। सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर का समाधा...