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बीमारी पता हैं,समय भी fix हैं ,प्रभावित समूह और किन क्षेत्रों में प्रभाव इसकी भी जानकरी फिर गई 133 बच्चों की जान

PATNA: हर वर्ष देश में  JE के  लगभग 1,500 से 4,000  मामले रिपोर्ट किए जाते हैं।

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बिहार में चमकी बुखार (एईएस) बीमारी बच्‍चों पर काल बनकर टूट रही है। इस बीमारी से सोमवार दोपहर तक राज्य में 133 बच्चों की मौत हो चुकी है। नया मामला बिहार के मोतिहारी का हैं । जिले में चमकी बीमारी से 12 बच्चों के प्रभावित होने की रिपोर्ट की गई हैं ।

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केंद्रीय स्वास्थय मंत्री डॉ हर्षवर्धन की चुप्पी पर सवाल 

22 जून 2014: डॉ हर्षवर्धन 2014 में इसी तरह की घटना के बाद बिहार दौरे पर आए थे | यहा उन्होंने 100 बेड का अस्पताल बनवाने का वादा किया था | 

16 जून 2019: डॉ हर्षवर्धन रविवार को मुजफ्फरपुर दौरे पर आए थे । यहां उन्होंने 100 बेड बनाने का पुराना वादा दोहराया | इस पर शोध करने की बात भी दोहराई ।

बीमारी पता हैं - 

 एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome-AES) ,जिसे स्थानीय स्तर पर चम्की बुखार (दिमागी बुखार) के रूप में जाना जाता है।

समय भी पता हैं-  

गर्मी के मौसम के दौरान High Temperature और Humidity के कारण AES के फैलने के दर बहुत अधिक होती है।

कौन प्रभावित होगा- 

 विशेष रूप से बच्चों और युवा वयस्क सबसे अधिक प्रभावित होते है।

किन क्षेत्रों में असर- 

 केंद्रीय संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) निदेशालय के आँकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और बिहार समेत 14 राज्यों में इंसेफलाइटिस का प्रभाव है, लेकिन पश्चिम बंगाल, असम, बिहार तथा उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में इस बीमारी का प्रकोप काफी अधिक है।

2004 से 2010 तक राज्यवार जापानी बुखार से मौत का आकड़ा  

आंकड़ा-2004 से 2010 तक राज्यवार रिपोर्ट किए गए जापानी बुखार के मामले और उनमें गई जान 

रिपोर्ट-  भारत के लगभग 597,542,000 लोग JE प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं, जहा हर वर्ष JE के लगभग 1,500 से 4,000 मामले रिपोर्ट किए जाते हैं।

बीमारी पता हैं, कब यह बीमारी फैलेगी मौसम भी fix हैं (सामान्यतः मई से सितम्बर में),प्रभावित समूह भी पता हैं, और किन क्षेत्रों में इसका प्रभाव देखने को मिलता हैं, ये भी पता हैं, फिर भी एक साल गोरखपुर BRD Hospital में बच्चों की जान जाने कि घटना आती हैं (2017 में 2 सितम्बर तक BRD Hospital में 1370 बच्चों की मौत हुई थी) तो इस साल #MUZAFFARPUR में 100 से उपर बच्चों की मौत हो जाती हैं।
राज्य सरकार तो निष्क्रिय हैं ही इसमें कोई शक नहीं चाहे वो UP हो या BIhar। केंद्र सरकार इसपे पहल क्यों नहीं करतीं गोरखपुर के घटना के बाद इस तरह की घटना तो दोबारा होनी ही नहीं चाहिए। मतलब स्पष्ट हैं केंद्र सरकार की भी इसमें रुचि नहीं है। ऐसा तो हैं नहीं यह बीमारी पूरे भारत में फैली हैं इसीलिए डॉक्टरों और सेवाओं की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। इसका क्षेत्र भी सीमित हैं और समय भी निश्चित हैं फिर भी इसमें कोई ACTION नहीं सरकार की इस बीमारी के प्रति उदासीनता को दिखाती हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे रविवार को मुजफ्फरपुर अस्पताल के दौरे पर थे। इस दौरान उनसे एक पत्रकार द्वारा प्रश्न पूछने पर  बच्चों के मौत को छोटी घटना बताया और मर्यादा से प्रश्न करने को कहते हैं। विशेष बात यह है केंद्रीय मंत्री बिहार के बक्सर लोकसभा सीट से जीत के आए हैं और दो दिन पहले जब राज्य में बच्चों के मौत का आंकड़ा 60 पार कर चुका था वो भागलपुर में विजय जुलूस निकाल रहे थे। लेकिन इतने दिनों में उन्हें मुजफ्फरपुर के बच्चों की याद नहीं आयी। रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के साथ वे मुजफ्फरपुर अस्पताल के दौरे पर आए थे ।  

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सोमवार तक AES के चलते 133 बच्चों की मौत

सोमवार दोपहर तक AES के चलते 133 बच्चों की मौत हुई है। बच्चों की मौत के बढ़ते आंकड़े के साथ बिहार सरकार द्वारा किए जा रहे इंतजाम के सच्चाई भी सामने आ रही है। एईएस का प्रकोप शुरू होने के बाद बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय काफी एक्टिव नजर आ रहे हैं।

उन्होंने  मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच (SKMCH) का दौड़ा किया। उन्होंने HOSPITAL के डॉक्टरों और प्रशासन से बच्चों के इलाज की जानकारी ली और जरूरी निर्देश दिए। रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने भी SKMCH का दौरा किया।

Comments

  1. Center and state government plz provide qualities medical healthcare and boost medical health infrastructure s,plz do action own yours promises

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