अमित कुमार
हाल ही में पुलवामा में हुए सेना के काफिले पर हमले में देश ने अपने 40 वीर जवानों को खो दिया है। पुलवामा आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। हर चौक और नुक्कड़ पर मोमबत्ती जलाकर लोग शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। लोग मार्च निकालकर पाकिस्तान विरोधी नारे भी लगा रहे हैं। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली है। हालांकि यह घटना केवल आज की नहीं है इसके पहले भी 2, 4 सैनिक हर महीने शहीद होते रहे हैं। उरी और पठानकोट कौन भूल सकता हैं,लेकिन जब यह वृहत स्तर पर हुआ तो पूरे देश में आवाज उठी। जम्मू कश्मीर को आतंकीस्तान बताया जा रहा हैं।लोगों को कश्मीर के बारे में ऐसा नहीं बोलना चाहिए क्योंकि बाकी राज्यो की तरह जम्मू कश्मीर भी भारत का अभिन्न अंग है। जम्मू कश्मीर की समस्या के समाधान के बिना हम अपने जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं। जम्मू कश्मीर राज्य को हर सरकार ने अपने अपने तरीके से हैंडल करने की कोशिश की है और कोई विजन नहीं सुनिश्चित किया। उसी का परिणाम है कि, आज हमारे सैनिक शहीद हो रहे हैं। सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर का समाधान मिलिट्री सॉल्यूशन ही लग रहा है। अगर मिलिट्री से ही जम्मू कश्मीर विवाद सुलक्ष गया होता, तो यह कब का हो गया होता। जो काम जम्मू कश्मीर में राजनीतिक नेताओं को करना चाहिए उसे सेना को करना पड़ रहा है। पिछले दिनों सेना के एक जवान ने मुझे बताया कि सेना का काम देश की सुरक्षा करना है ,ना की शिक्षा देना, अस्पताल चलाना,लोगो के साथ त्योहार मनाना, यह सब काम जम्मू कश्मीर में सेना करती है।
पुलवामा हमले के बाद एक तरफ हम देख रहे है , जहाँ देश का एक बड़ा वर्ग है जो 40 के बदले 400 सिर काटकर लाने की बात कर रहा है और | पाकिस्तान को खत्म कर देने की बातें कर रहा है।इन सब बातों से अलग एक वर्ग ऐसा भी है जो मानता है कि ' खून का बदला खून किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। लेकिन इसी बात को लेकर उनको देशविरोधी , राष्ट्रद्रोही जैसे नामों से पुकारा जाने लगता है। मीडिया में एक एंकर, चार लोगो के साथ बैठ जा रहे है, और फिर चर्चा चाल रही हम पाक के उपर कैसे हमला करके सेना और आतंकवादियों को सबक सीखा सकते हैं। उसमे कुछ नौशिखिये लोग उनके ठिकाने पर मिसाइल से हमला कर देंगे। फाइटर जेट से हमला करने जैसे उपाय बताते हैं। लेकिन वो भूल जाते हैं कि मिसाइल और फाइटर जेट आदि से हमला पाक अपने उपर हमला मान कर युद्ध शुरु कर देगा।इसमें कोई शक नहीं पाकिस्तान को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ेगी,लेकिन भारत युद्ध नहीं कर सकता , क्योंकि नुकसान हमारा भी होगा।इससे हम कई वर्ष पीछे चले जायेंगे। ये टीवी पे बैैैठे एंकर और पत्रकार भूल जातेे हैं वह चाहे जितनी भी मिसाइल छोड़ने की बात कर ले लेकिन पिछली बार की तरह जब सर्जिकल स्ट्राइक हुआ तो किसी को कानो कान खबर तक नहीं मिली।
वास्तव में अगर देखा भी जाये तो किसी समस्या का समाधान जितने बेहतर तरीके से और बिना खून - खराबे के संवाद के माध्यम से हल किया जा सकता, वैसा युद्ध की माध्यम से कभी भी नहीं किया जा सकता है,लेकिन हाल की घटना पर कार्रवाई तो आवश्यक हैं ।सरकार ने इस घटना के बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग करने और उसके ऊपर आर्थिक नाकेबंदी के प्रयास कर रही हैं।इसी पहल के तहत पाकिस्तान को दिया हुआ एमएफएन का दर्जा वापस ले लिया गया हैं।पिछले दिनों जम्मू कश्मीर राज्य के 18 अलगाववादियों और 155 नेताओ की सुरक्षा से 1000 सुरक्षा वा 100 गाड़ियां हटाई गई हैं।आज ही यानी शुक्रवार को को सरकार ने सिंधु जल संधि
तोड़ने की बात की हैं। साथ ही पाक को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग थलग करने की बात कर रही हैं, इस पर अमेरिका ब्रिटेन और फ्रांस का भी समर्थन मिल रहा हैं,लेकिन चाइना ने इस घटने की तो निंदा की परंतु मसूद अजहर पर प्रतिबंध को इनकार कर गया। भारत सरकार पाक को एक आतंकवादी राष्ट्र बोलती हैं,और चाहती भी हैं कि उस को अतंकवादी राष्ट्र घोषित किया जाए लेकिन कभी भारत सरकार ने पाक को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने वाली कोई बिल अपने संसद ने नहीं लाई।
सबसे बड़ी बात यह रही कि विपक्ष सरकार के साथ खड़ी रही हैं। सर्जिकल स्ट्राइक के ऊपर जिस तरह सवाल उठे और सरकार व विपक्ष के बीच जो खींच तान दिखा वह अभी नहीं था। शायद यह चुनाव के सीजन के कारण नहीं हुआ। देखना लाजमी है आगे इस मामले में क्या नया रुख आता हैं।
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